क्या कहाँ जाए और किस प्रकार कहाँ जाए ! जैसा हो रहा है अगर उसी प्रकार से कहाँ जाए तो कोई खुश तो कोई नाराज हो जाएगा ! कोई भी व्यक्ति , समाज या देश को अपनी कमियों को बहुत सहजता से सुनना चाहिए ! अगर जिस दिन आपके अंदर अपनी कमियों को सहजता से सुनने की क्षमता हो जाएगी आपका विकास सुनश्चित हो जाएगा ! आप कितने अपने जीवन में विकास कर पाएंगे यह तो नही कहाँ जा सकता लेकिन आपका व्यक्तित्व विकास की ओर आगे बढ़ने लगेगा यह तय है !
एक तरफ हमे लगता है हम विकास की ओर जा रहे है वही दूसरी तरफ दुनिया को देखा जाए तो विश्व अशांति की ओर बढ़ता दिखता है ! समाज का मूल सकारात्मक विकास व्यक्ति के व्यक्तित्व से होता है जो आज के विकास से मेल नही खाता है ! आज की शिक्षा पद्धति भी व्यक्ति को engineer, डॉक्टर तो बना देता है पर व्यक्ति के मूल व्यक्तित्व के विकास करने में असफल हो जाता है ! आज की शिक्षा पद्धति इस प्रकार की है कि हर कोई बस किसी खाश विषय की जानकारी प्राप्त करने की होड़ में लगा हुआ है …और उस जानकारी को प्राप्त कर धन को कमाने में लगा है …..ज्यादातर लोग अपनी इस जानकारी का दरुपयोग कर धन कमाने में लगा है ! इस तरह के सभी लोग है जो पहले दर्जे के नागरिक की श्रेणी में आते है ..जैसे डॉक्टर ,इंजीनियर,शिक्षक,वकील ये सभी लोग है !
किसी भी राष्ट्र का विकास उनके नागरिकों के द्वारा होता हैं ! उनके नागरिकों का नैतिक होना राष्ट्र के निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है !
आपका आभारी
मिथिलेश सिंह
संपादक



Nice article