हमारे साथ जो कुछ भी घटित होता है वो सबकुछ हमारे विचार का हमारे व्यवहार का परिणाम होता है ! जब आपको आपके साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ खड़े हो जाना चाहिए तब आप खड़े नही होते है ! इसका परिणाम यह होता है कि अत्याचारी आपके चुप रहने को अपनी ताकत बनाता है और आपके चुप रहने को ही सबूत बनाता है ! आप चुप चाप किसी कोने में बैठकर अपने ऊपर हो रहे अत्याचार को देखते है और झेलते है ! और उम्मीद करते है कोई मसीहा आएगा और आपको बचाएगा …तो ऐसा कुछ नही होना है क्यो की आपकी मानसिकता शोषित होने के लिए बनी है……. और इसलिए आप हमेशा रोते हुए शोषित होते रहेंगे ! अगर आपको इस परिस्थिति को बदलना है तो आपको खुद अपना मसीहा बनना होगा , अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ अत्याचारी के सामने बज्र का सीना लिए खड़ा हो जाना होगा ……….तभी आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है ! आपके जीवन में ऐसा करने से परेशानियां जरूर आएंगी , पर अंतिम परिणाम सुखद और आपके हक़ में होगा !
आपका फैसला आपके विचार आपके जीवन में घटित हो रहे परिस्थितियों के परिणाम है ! 🙏🏻
संपादक
मिथिलेश सिंह
दिल्ली (नोएडा)


