आर्थिक हैसियत को देखकर आदर या अनादर करने वाली मानसिकता मानसिक रूप से उन्नति की जगह अवनति की ओर जा रहा होता है ,तब जाकर ऐसी मानसिकता जन्म लेती है ! उपलब्धियां अच्छी बात है सराहनीय है अगर नैतिक मूल्यों पर चलकर उसको हासिल किया गया हो , और उपलब्धियों का उपयोग नैतिकता के साथ किया जा रहा हो ! कौन किसका आदर करेगा या अनादर करेगा उसके चरित्र और उसके मानसिक विकास पर निर्भर करता है , उसके व्यक्तित्व के अस्तर पर निर्भर करता है ! कोई एक व्यक्ति किसी की गाड़ी ,पद, पैसा और पावर देखकर प्रभावित हो सकता है , उसका आदर सम्मान कर सकता है ! दूसरी तरफ एक व्यक्ति इन सब चीजों से प्रभावित नही होता है, वो हमेशा ऊंचे मूल्यों के व्यक्तित्व से प्रभावित होता है , चाहे अपने जीवन में कोई उपलब्धि हासिल की हो या नही की हो ! कोई विवेकानंद को अपना आदर्श मानता है तो कोई किसी बॉलीवुड की किसी अभिनेत्री या अभिनेता को या किसी उद्योगपति को आदर्श मानता है ! यह पूर्ण रूप से व्यक्ति के व्यक्तित्व के स्तर पर निर्भर करता है , कि कौन किसको अपना आदर्श मानेगा पर हमेशा ऊंचे व्यक्तित्व से ही समाज का भला होता है !
संपादक
मिथिलेश सिंह
दिल्ली ( नोएडा )


