चरित्र और समाज: नैतिकता का पतन या समय का परिवर्तन?

भूमिका

समाज की रीढ़ उसकी नैतिकता और चरित्र होते हैं। कोई भी सभ्यता तभी समृद्ध होती है जब उसमें नैतिकता और सच्चाई का सम्मान किया जाए। 50 साल पहले, समाज में हर व्यक्ति अपने चरित्र के अनुसार कार्य करता था। चोर केवल चोरी करता था, ईमानदार व्यक्ति पत्रकारिता, वकालत, चिकित्सा या अन्य पेशों में ईमानदारी बनाए रखता था। लेकिन समय के साथ नैतिकता का पतन हुआ और अब हम देखते हैं कि अनैतिक लोग उन पेशों में प्रवेश कर रहे हैं, जहाँ ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।

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50 साल पहले का समाज

पुराने समय में, किसी भी पेशे को अपनाने से पहले व्यक्ति की नैतिकता और उसके चरित्र पर ध्यान दिया जाता था। यदि कोई शिक्षक था, तो समाज उसे ज्ञान और अनुशासन का प्रतीक मानता था। डॉक्टर का मतलब सेवा भाव और निस्वार्थ उपचार होता था। पत्रकार सत्य को उजागर करने का काम करते थे, और वकील न्याय दिलाने का माध्यम होते थे। न्यायपालिका में लोगों का अटूट विश्वास था क्योंकि जजों को निष्पक्ष और ईमानदार माना जाता था।

समाज में बदलाव और नैतिकता का पतन

आज, समाज में चरित्र का मोल कम होता जा रहा है। अनैतिक लोग पत्रकारिता, चिकित्सा, वकालत और न्यायपालिका जैसे क्षेत्रों में प्रवेश कर रहे हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि—

  1. पत्रकारिता में गिरावट
    पहले पत्रकारिता सत्य और न्याय की आवाज हुआ करती थी। आज कई पत्रकार पैसे और स्वार्थ के लिए झूठी खबरें फैलाने लगे हैं। सच को दबाया जाता है, और झूठ को सनसनीखेज बनाकर बेचा जाता है।
  2. वकालत में अनैतिकता
    पहले वकील न्याय का प्रतीक होते थे, लेकिन अब कुछ वकील अपराधियों को बचाने के लिए कानून का गलत इस्तेमाल करने लगे हैं। धन के लोभ में वे अपराधियों का समर्थन करते हैं, जिससे न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगने लगे हैं।
  3. चिकित्सा क्षेत्र में व्यावसायीकरण
    पहले डॉक्टर को भगवान का रूप माना जाता था। लेकिन अब चिकित्सा सेवा से अधिक व्यापार बन गई है। मरीजों का शोषण किया जाता है, गैर-जरूरी टेस्ट और दवाइयाँ लिखी जाती हैं ताकि अधिक पैसा कमाया जा सके।
  4. राजनीति में भ्रष्टाचार
    पहले नेता जनता की सेवा के लिए काम करते थे। आज राजनीति में अपराधी और भ्रष्ट लोग आ गए हैं, जो केवल सत्ता और धन के लिए काम कर रहे हैं।
  5. सामाजिक न्याय में गिरावट
    पहले न्यायपालिका पर जनता का पूर्ण विश्वास था। अब जब भ्रष्टाचार न्यायपालिका में भी पैर पसारने लगा है, तो आम नागरिक के लिए न्याय पाना कठिन हो गया है।

ईमानदार व्यक्ति का संघर्ष

आज, ईमानदार व्यक्ति समाज में संघर्ष कर रहा है। जो व्यक्ति नैतिकता से काम करता है, उसे सफलता में बाधाएँ आती हैं। कई ईमानदार डॉक्टर, वकील, और पत्रकार बेरोजगारी की स्थिति में आ जाते हैं क्योंकि वे भ्रष्ट तरीकों से धन अर्जित नहीं करते।

समाज को कैसे सुधारें?

समाज को फिर से नैतिकता की ओर ले जाने के लिए हमें कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे—

  1. शिक्षा में नैतिकता को अनिवार्य करना
    शिक्षा प्रणाली में नैतिकता और मूल्यों को अनिवार्य किया जाए ताकि आने वाली पीढ़ी में ईमानदारी और सच्चाई के गुण विकसित हों।
  2. कानूनी सुधार
    न्याय व्यवस्था को इतना सख्त बनाया जाए कि भ्रष्टाचार और अनैतिकता की कोई जगह न हो।
  3. मीडिया की जवाबदेही तय करना
    पत्रकारिता में पारदर्शिता और सच्चाई को प्राथमिकता दी जाए। झूठी खबर फैलाने वालों पर कठोर कार्रवाई हो।
  4. चिकित्सा और कानून क्षेत्र में नैतिकता की वापसी
    डॉक्टरों और वकीलों को अपने पेशे के नैतिक मूल्यों को बनाए रखना चाहिए। पेशों को व्यवसाय नहीं, बल्कि सेवा की भावना से अपनाना चाहिए।
  5. युवा पीढ़ी को जागरूक करना
    युवाओं को यह समझाने की आवश्यकता है कि सफलता केवल धन कमाने में नहीं, बल्कि समाज में सम्मान पाने में भी है।

निष्कर्ष

समाज का नैतिक पतन कोई एक दिन की प्रक्रिया नहीं है। यह धीरे-धीरे हुआ है, लेकिन इसे सुधारा जा सकता है। यदि हर व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में ईमानदारी और नैतिकता को अपनाए, तो समाज फिर से उसी रूप में लौट सकता है, जहाँ हर पेशे में चरित्र की पहचान बनी रहती है। जब तक नैतिकता को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक समाज में वास्तविक न्याय और सच्चाई की उम्मीद करना मुश्किल होगा।


मिथिलेश सिंह

नोएडा

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