जब लोगो को धर्म का ज्ञान नही होता है तब अधर्म बाजार में धर्म के नाम पर छल करने निकल जाता है ! लंबे समय तक ऐसा जब होता है तब समाज में धर्म अधर्मियों के अधर्म के कारण कलंकित होना शुरू होता है ! स्वार्थी लोगो को इस बात से कोई फर्क नही पड़ता है कि उनके स्वार्थ के कारण धर्म कलंकित हो रहा है , उनको तो बस अपना स्वार्थ सिद्ध करना होता है ! जब इन अधर्मी लोगो का सामना समाज के ज्ञानी लोगो से पड़ता है तब इनकी आंखों में इतनी हिम्मत नही होती है, कि कह सके कि वे धार्मिक काम कर रहे है ! तब वे इस अधर्म को अपने जीविका के लिए किए गए कर्म का नाम दे देते है ! आज समाज में इनकी संख्या बढ़ती जा रही है जो बहुत ही चिंता जनक है ! भारत हमेशा से ही विश्व का आध्यात्मिक गुरु रहा है ! आज भी जो बड़े आध्यात्मिक गुरु है समाज में वे हमेशा से ही इस तरह के लोगो के तरीके से उनका आध्यात्मिक तरीका, समाज में अध्यात्म को प्रसारित करने का तरीका बिल्कुल अलग होता है ! उनका जीवन सादगी से भरा हुआ और अध्यात्म में डूबा हुआ होता है ! सभी लोगो को बारीकी से इस अंतर को समझने की आवश्यकता है और ऐसे लोगो को पनपने से रोकने की आवश्यकता है !
संपादक
मिथिलेश सिंह
दिल्ली


